मंगलवार प्रदोष व्रत कथा, विधि पूजन,व्रत का माहात्म्य,यह क्यों करते हैं।
मंगलवार प्रदोष व्रत कथा ,पूजन , क्यों करते हैं यह व्रत ।
मंगलवार प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है । इस दिन भगवान शिव और मातापार्वती का पूजन किया जाता है।प्रदोष काल में ही पूजन करने विधान बताया गया है। मंगलवार प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मंगलवार (भौम) प्रदोष व्रत कथा;
एक नगर में एक बूढ़ी औरत रहती थी उसका एक पुत्र था जिसका नाम मांगलिया था ।उस बूढ़ी औरत की राम भक्त हनुमान जी में बहुत श्रद्धा थी । वह मंगलवार के दिन कही भी लिपती नहीं थी और नियम पूर्वक व्रत करती ओर हनुमान जी की आराधना करती थी। एक बार हनुमान जी ने उस वृद्धा की परीक्षा लेने का सोचा।
हनुमान जी ने साधु का वेष बनाया और बुढ़िया के घर के बाहर जाकर आवाज दी ,, है कोई हनुमान का भक्त जो हमारी इच्छा पूर्ण करे।
यह आवाज़ सुनते ही बुढ़िया बाहर आई और बोली हे महाराज आदेश करें।
साधु जी बोले – मुझे बहुत भूख लगी है , मैं भोजन बनाऊंगा थोड़ी जमीन लीप दे।
वृद्धा दुविधा में पड़ गई और बोली लीपने और मिट्टी खोदने की अतिरिक्त आप जो भी आज्ञा करेंगे में अवश्य पूर्ण करूंगी।
साधु कहने लगे ठीक है तीन बार प्रतिज्ञा करवा कर बोले तो अब तुम अपने पुत्र को बुलाओ मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा यह सुनते ही बुढ़िया घबरा गई।
बुढ़िया वचन हार चुकी थी उसने अपने पुत्र को साधु के हवाले कर दिया ,साधु ने बुढ़िया के हाथ से ही मांगलिया को औंधा लिटाया और उसी के हाथ से उसकी पीठ पर आग जलवाई।
बुढ़िया आग जलाकर घर के अंदर चली गई।उसके बाद साधु ने भोजन बनाया और बुढ़िया को बुला कर कहा कि अब वह अपने बेटे को बुलाए ताकि वह भी भोजन कर सके,तब बुढ़िया कहती ऐसा कह कर मेरा मन अब आप और न दुखाएं।
साधु के बार बार कहने पर बुढ़िया ने आवाज लगाई तो उसका बेटा मांगलिया सामने से जीवित आ रहा था,बुढ़िया साधु के चरणों में गिर पड़ी ,उसके साथ हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में आ गए और बुढ़िया का आशीर्वाद दिया।
पूजन विधि;
पूजा विधि:
मंगलवार प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है।
•भगवान गणेश का पूजन सबसे पहले किया जाता है
•उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
•भगवान शिव का अभिषेक करके आरती करें ।
•भोग लगाए और भगवान की आराधना करें।
ॐ नमः शिवाय


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