महाकुंभ - माघ मास की पूर्णिमा को चौथा अमृत स्नान ।किस तरह करे भगवान लक्ष्मी और नारायण की पूजा।
महाकुंभ 2025 का चौथा अमृत स्नान होगा माघ पूर्णिमा को ।
12 फरवरी 2025 को मनाई जाने वाली माघ पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बहुत ही आध्यात्मिक महत्व है। इसी दिन महाकुंभ का चौथा शाही स्नान होने वाला है। जिसमें लाखों तीर्थ यात्री प्रयागराज के त्रिवेणी संगम की ओर आकर्षित होते हैं।
महाकुंभ अपने आप में ही एक महा पर्व है जो कई वर्षों बाद होता है इस समय अंतरिक्ष में घूम रहे ग्रह एक ही स्थिति में जितने समय तक रहते हैं उतने ही समय तक कुंभ पर्व मनाया जाता है।
माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व
माघ पूर्णिमा का विशेष ही महत्व होता है। माना जाता है इस दिन दिव्य देवी देवता इस पवित्र संगम पर उतरते हैं और इस पवित्र जल को दिव्य आशीर्वाद से भर देते हैं।इस जल में जो भी स्नान करता है उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।इस जल में स्नान करने से आत्मा पवित्र हो जाती है और आध्यात्म के मार्ग पर बढ़ती है।
त्रिवेणी संगम पर ही क्यों स्नान
गंगा यमुना और सरस्वती इन तीनों के संगम को ही त्रिवेणी संगम कहा जाता है। और यही संगम माघ पूर्णिमा को भक्ति का केंद्र बन जाता है।इस संगम में सभी श्रद्धालु इस पूर्णिमा के दिन डुबकी लगाते हैं ,इसमें डुबकी लगाने से अपार धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है। और इसमें स्नान करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पवित्र स्नान के अलावा इस दिन बहुत से अनुष्ठान भी किए जाते हैं। सूर्योदय के समय भक्त भगवान सूर्य देव की पूजा करते हैं। वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है ।
इस दिन दान देने का भी विशेष महत्व है,जरूरत मंदो को दान देने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ मेले में इस दिन साधु संतों और भक्तों का जमावड़ा लगता है।जिसमें सभी मिलकर इस पावन पर्व पर स्नान दान और पूजा करके इसे दिव्य बनाते हैं।

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