सोमवार प्रदोष व्रत कथा कैसे करें सोम प्रदोष व्रत।

 सोमवार प्रदोष व्रत कथा,क्या है इसका

 माहात्म्य,कैसे करें व्रत।


सोमवार प्रदोष व्रत :

सोम प्रदोष व्रत को सभी प्रदोष व्रत में सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।


सोमवार प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है ।प्रदोष व्रत के दिन विशेषकर प्रदोष काल में पूजन करना चाहिए। प्रदोष व्रत भगवान शिव का बहुत प्रिय है और यह बहुत अच्छा फल देता है।

सोमवार प्रदोष व्रत कथा;

सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा, एक नगर में एक ब्राह्मणी ही रहती थी ,वह बहुत ही गरीब थी उसके पति का भी स्वर्गवास हो गया था ।उसका एक पुत्र था ,उसका कोई भी और सहारा नहीं था वह रोज अपने पुत्र के साथ भिक्षा मांगने निकल जाती थी।

जो भी भिक्षा में मिलता उसी से अपना गुजारा करती थी।
एक दिन जब ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का दर्द में कराहता हुआ मिला वह ब्राह्मणी उस लड़के को अपने घर ले आती है । वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था उसके राज्य पर शत्रुओं ने आक्रमण कर के कब्जा के लिया था और अब वह मारा मारा फिर रहा था। वह राजकुमार ब्राह्मणी के साथ उसके घर में रहने लगा था।

और फिर एक दिन एक अंशुमती नाम की राजकुमारी उस राजकुमार पर मोहित हो गई और जल्द ही अपने माता पिता को उस राजकुमार से मिलवाया उन्हें भी वह राजकुमार बहुत पसंद आया। कुछ दिन बाद भगवान भोलेनाथ उस राजकुमारी के माता पिता के सपने में आए और कहा कि  अंशुमती और राजकुमार का विवाह करवा दिया जाए ।उन्होंने ऐसा ही किया अंशुमती और राजकुमार का विवाह करवा दिया गया ।

 ब्राह्मणी सोम प्रदोष व्रत किया करती थी जिसके प्रभाव से  राजकुमार ने गंधर्वराज की सेना की सहायता से विदर्भ राज्य के शत्रुओं को परास्त करके अपने पिता का राज्य पुनः हासिल कर लिया और ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। 
जिस प्रकार भगवान शिव ने ब्राह्मणी और उसके पुत्र और राजकुमार के दिन फेरे उसी प्रकार भगवान शिव अपने अन्य भक्तों के दिन भी अच्छे के देते हैं।
यह सोम प्रदोष व्रत की कथा सभी को पढ़नी व सुननी चाहिए।

पूजा विधि:

सोम प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है।
•भगवान गणेश का पूजन सबसे पहले किया जाता है 
•उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
•भगवान शिव का अभिषेक करके आरती करें ।
•भोग लगाए और भगवान की आराधना करें। 

ॐ नमः शिवाय 

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