10 फरवरी 2025 सोमवार प्रदोष व्रत माघ मास। जाने सोमवार प्रदोष व्रत कथा विधि पूजन

 10 फरवरी 2025 माघ मास सोमवार प्रदोष

 व्रत, कथा, पूजन विधि।



प्रदोष व्रत भगवान शिव को अति प्रिय होता है। इस प्रदोष व्रत करने से सारे कष्ट दूर  हो जाते हैं। 10 फरवरी 2025 को माघ मास का दूसरा  प्रदोष व्रत पढ़ रहा है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती का भी पूजनक किया  जाता है। सभी कष्टों की निवारण के लिए प्रदोष व्रत अति लाभकारी है। इस व्रत को करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होतीहै।

सोमवार प्रदोष व्रत कथा

एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था और उसका एक पुत्र था जिसके साथ वह घर में अकेली रहती थी। हर रोज प्रातः काल वह अपने पुत्र के साथ भिक्षा मांगने निकल जाती थी। भीख मांग कर ही वह अपना घर चलाती थी। और इसी से अपना और अपने पुत्र का पेट भरती थी। एक दिन जब वह भिक्षा मांग कर घर लौट रही थी। तब उसे एक लड़का घायल अवस्था में मिला और वह दर्द से कराह रहा था। वह ब्राह्मणी उसे अपने घर ले आती है वह लड़का विदर्भ का राज कुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर दिया और उसके पिता को बंदी बना लिया था इसलिए अब वह यहां वहां भटक रहा था। धीरे-धीरे वह राजकुमार ठीक हो गया और उसे ब्राह्मण के घर में उसके पुत्र के साथ रहने लगा।
एक दिन अंशुमती नाम की एक राजकुमारी को वह रजकुमार भाग गया और वह उसे पर मोहित हो गई अगले ही दिन राजकुमारी अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलवाने ले आई। उसके माता-पिता को भी राजकुमार भा गया। कुछ दिनों बाद भगवान शिव ने अंशुमति के माता-पिता को सपने में यह कहा की राजकुमार और अंशुमाती का विवाह करवा दिया जाए । भगवान शिव की आज्ञा मानकर उन्होंने अंशुमति और विदर्भ के राजकुमार का विवाह करवा दिया। ब्राह्मणी भगवान शिव की भक्त थी। वह प्रदोष व्रत किया करती थी इसके प्रभाव से विदर्भ के राजकुमार ने शत्रुओं को विजय प्राप्त कर ली और अपना राज्य पुनः हासिल कर लिया। 
राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बना लिया। भगवान शिव ने जैसे ब्राह्मण पुत्र और राजकुमार के दिन वैसे ही भगवान शिव सभी भक्तों के दिन फेरते हैं। जो भी सोम प्रदोष व्रत को करता है भगवान उनकी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
सोम प्रदोष व्रतकरने वाले सभी भक्तों को यह कथा सुनाई और पढ़नी चाहिए।

पूजा विधि:

सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में ही की जाती है।
•भगवान गणेश का पूजन सबसे पहले किया जाता है 
•उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
•भगवान शिव का अभिषेक करके आरती करें ।
•भोग लगाए और भगवान की आराधना करें। 

ॐ नमः शिवाय 

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